मर्यादा पुरोषत्तम भगवान राम का संदेश को आत्मसात करके ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सकता है: डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र

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अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में सनातन वैदिक संस्कृति के अंतराष्ट्रीय स्तर पर कार्य प्रचार प्रसार के लिए मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा महामंडलेश्वर श्रीश्री 1008 संत रामदास जी महाराज ददरौआ सरकार को मातृभूमि मानस गौरव सम्मान से मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश ने सम्मानित किया
कुरुक्षेत्र\
तेजी से हो रहे सांस्कृतिक क्षरण के इस दौर में संस्कृति को सहेजे रहने का सशत्तफ़ माध्यम यदि कोई है तो वह है रामायण। सही मायने में रामायण ही वह दीया है जो हमें असत् के अंधकार से सत्य के प्रकाश की ओर ले जाती है। गुरुकुल पद्धति से यह प्रकाश फैलाया जा सकता है और नौनिहालों को ध्येयनिष्ठ सांस्कृतिक दूत बनाया जा सकता है। मातृभूमि सेवा मिशन धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र की मध्यप्रदेश इकाई द्वारा ग्वालियर में आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में इस आशय के विचार देश-विदेश के मूर्धन्य विचारकों ने व्यक्त किए। सम्मेलन का शुभारंभ दंदरौआ धाम के महंत महामण्डलेश्वर संत रामदास जी महाराज ददरौआ सरकार, मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक तथा राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र, ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष गिरिराज सिंह दण्डोतिया, संभागीय आयुक्त एम- के- अग्रवाल और नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मातृभूमि सेवा मिशन का परिचय और स्वागत भाषण देते हुए मध्यप्रदेश के संयोजक अशोक शर्मा ने कहा संस्थान का उद्देश्य गुरुकुलों के माध्यम से वंचित और निराश्रित बच्चों को सनातन संस्कृति में ढाल कर शिक्षित करना है ।
मुख्यवक्त और मातृभूमि सेवा मिशन के संस्थापक अध्यक्ष डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने अपने उद्बोधन में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और रामायण का उल्लेख करते हुए कहा कि रामायण बताती है कि श्रीराम एक अनुशासित सच्चरित्र प्रबंधक है । वह अति पिछड़े और वंचित वर्ग को संगठित कर रावण के अनाचार का प्रतिकार कर विजयश्री का वरण करते हैं । इसके मूल में रघुराई को गुरुकुल पद्धति से मिली शिक्षा ही है । उन्होंने जोर देकर कहा कि तेजी से हो रहे सांस्कृतिक क्षरण के इस दौर में संस्कृति को सहेजे रहने का यदि कोई सशक्त माध्यम है तो वह है रामायण।


डॉ. श्रीप्रकाश मिश्र ने कहा आज के आधुनिक जीवन में आदमी ने विभिन्न खोजें की हैं। विज्ञान की ज्ञानोपासना अविरत जारी है। लेकिन विश्व में सुख का नंदनवन निर्माण होने की अपेक्षा आत्यंतिक भय से पीडि़त मानवी जीवन हम देख रहे हैं। इसका निश्चित कारण यह है कि भौतिक व विज्ञान से निर्मित ज्ञान ने मनुष्य के भीतर की पशुता नष्ट नहीं की है। मनुष्य के मन का भय खत्म करने के लिए विज्ञान का कोई उपयोग नहीं हुआ है। यह हम कोरोना के जरिए आज अनुभव कर चुके हैं। डॉ. मिश्र ने कहा आज आवश्यकता है कि हम मर्यादा पुरुषोत्तम राम के जीवन से प्रेरणा लेकर भविष्य के भारत में अपने दायित्व का निर्वाह करें। मर्यादा पुरोषत्तम भगवान राम का संदेश को आत्मसात करके ही आत्मनिर्भर भारत का निर्माण हो सकता है भारतीय संस्कृति को विश्व में क्या निर्माण करना है? इसका उत्तर भारतीय संस्कृति में उत्पन्न रामायण व राम के आदर्श जीवन से मिलता है।
कार्यक्रम के अति विशिष्ट अतिथि संभागीय आयुक्त एम. के. अग्रवाल ने मातृभूमि सेवा मिशन के सेवा कार्यों की भूरि भूरि प्रशंशा करते हुए कहा वास्तविक रूप से मातृभूमि सेवा मिशन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्शाे को आत्मसात कर राष्ट्र निर्माण में समर्पित है। कार्यक्रम को अनेक विद्वतजनों ने संबोधित किया।
रामायण सम्मेलन को नगर निगम कमिश्नर किशोर कन्याल ने स्वच्छता से जोड़ा और सदविचारों के लिए सभी तरह की स्वच्छता को जरूरी बताया। उन्होंने मातृभूमि सेवा मिशन को राष्ट्र निर्माण की महावपूर्ण प्रयोगशाला बताते हुए बच्चों का उत्साहवर्धन किया। मध्यप्रदेश ऊर्जा विकास निगम के अध्यक्ष पूर्व विधायक गिरिराज सिंह दण्डोतिया ने जल संरक्षण-संवर्धन पर जोर दिया और जलवायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए ग्रीन ऊर्जा के अधिक से अधिक इस्तेमाल की सलाह दी। उन्होंने कहा मातृभूमि सेवा मिशन ग्वालियर इकाई द्वारा समाज सेवा का अनुकरणीय कार्य किया जा रहा है।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में दंदरौआ धाम के महंत महामण्डलेश्वर रामदास महाराज ने मातृभूमि सेवा मिशन के प्रयासों की भूरि भूरि प्रसंशा की और गुरुकुल के विकास में हर तरह के सहयोग का भरोसा दिया । उन्होंने कहा भगवान राम की शिक्षाओं के अनुकरण से ही भारत पुनः विश्व गुरु बन सकता है। समारोह के प्रारंभ में मातृभूमि सेवा मिशन, कुरुक्षेत्र द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के गुरुकुल के छात्रें ने मधुर गीतों पर योग-व्यायाम का प्रदर्शन किया। अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में सनातन वैदिक संस्कृति के अंतराष्ट्रीय स्तर पर कार्य प्रचार प्रसार के लिए मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा ददरौआ सरकार को मातृभूमि मानस गौरव सम्मान से मिशन के संस्थापक डॉ. श्रीप्रकाश ने सम्मानित किया।
अन्तर्राष्ट्रीय रामायण सम्मेलन में समाज सेवा में उत्कृष्ट कार्य के लिए प्रेम पचौरी, श्रीमती श्वेता व्यास, श्रीमती अर्पणा नायक, रामहेत शर्मा, पुरुषोत्तम झा सहित अनेक समाजसेवियों को मातृभूमि सेवा मिशन की ओर से श्रीफल, अंगवस्त्र, प्रशस्ति पत्र एवं स्मृतिचिन्ह देकर सम्मानित किया गया। इस मौके पर ग्वालियर नगर सहित अनेक जनपदों के सामाजिक, धार्मिक संस्थाओं के प्रतिनिधि एवं गणमान्य जन उपस्थित रहे। संपूर्ण समारोह का संचालन विदुषी अपर्णा नायक ने अत्यंत मधुर और संदेश मूलक सूक्तियों के साथ किया। कार्यक्रम का समापन विश्व मंगल की कामना से हुआ। ग्वालियर नगर की विभिन्न सामाजिक संस्थाओं द्वारा मातृभूमि सेवा मिशन द्वारा संचालित मातृभूमि शिक्षा मंदिर के विद्यार्थियों को उत्कृष्ट सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति के लिए सम्मानित किया गया।

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